5 EASY FACTS ABOUT MAIN MENU इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल नॉलेज झ

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ब्रिटिशो ने भारतीयों पर अत्याचार करने के साथ-साथ भारतीयों के लिये कई अच्छे काम भी किये। उन्होंने रेलरोड और टेलीफोन का निर्माण किया और व्यापार, कानून और पानी की सुविधाओ को भी विकसित किया था। इनके द्वारा किये गए इन कार्यो परिणाम भारत के विकास और समृद्धि में हुआ था। उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस का निर्माण किया और कई जरुरी नियम और कानून भी बनवाए। उन्होंने भारत में विधवा महिलाओ को जलाने की प्रथा पर भी रोक लगायी थी।

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पूना सार्वजनिक सभा की स्थापना एमजी रानाडे ने की थी

जोधाबाई का महल और पांच मंजिला पंच महल फतेहपुर सीकरी की अन्य महत्वपूर्ण इमारतें हैं।

क्षेत्रीय राज्यों का उदय और यूरोपीय शक्ति: इस समय में पंजाब, मैसूर, अवध, हैदराबाद, बंगाल जैसे छोटे राज्यों का विस्तार हुआ। इसके साथ ही पुर्तगाली उपनिवेश, डच उपनिवेश, फ्रांसीसी उपनिवेश और अंग्रेज उपनिवेश की स्थापना हुई। 

इसके अलावा तिब्बती इतिहासकार लामा तारानाथ द्वारा रचित बौद्ध ग्रंथों- कंग्यूर और तंग्यूर का भी विशेष ऐतिहासिक महत्त्व है।

भारतीय इतिहास का कालक्रम (यूपीएससी इतिहास): यहां पीडीएफ डाउनलोड करें!

चिश्तिया सूफी सम्प्रदाय एवं ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती

चौसा में शेर खान द्वारा हुमायूँ की हार

अभिलेखों से प्राप्त सूचनाओं की भी एक सीमा होती है। अक्षरों के नष्ट हो check here जाने या उनके हल्के हो जाने के कारण उन्हें पढ़ पाना मुश्किल होता है। इसके अलावा अभिलेखों के शब्दों के वास्तविक अर्थ का पूर्ण ज्ञान हो पाना सरल नहीं होता। भारतीय अभिलेखों का एक मुख्य दोष उनका अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन भी है। फिर भी, अभिलेखों में पाठ-भेद का सर्वथा अभाव है और प्रक्षेप की संभावना शून्य के बराबर होती है। वस्तुतः अभिलेखों ने इतिहास-लेखन को एक नया आयाम दिया है जिसके कारण प्राचीन भारत के इतिहास-निर्माण में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है।

ग्रंथ परिचय भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का इतिहास

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भारत पर आक्रमण के समय सिकंदर के साथ आनेवाले लेखकों ने भारत के संबंध में अनेक ग्रंथों की रचना की। इनमें नियार्कस, आनेसिक्रिटस, अरिस्टोबुलस, निआर्कस, चारस, यूमेनीस आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। इन लेखकों ने तत्कालीन भारतीय इतिहास का अपेक्षाकृत प्रमाणिक विवरण दिया है।

मध्यकाल के प्रारम्भ को लेकर इतिहासकारों के बीच मतभेद जहाँ कुछ इतिहासकार इसे गुप्त राजवंश के पतन के बाद ५-छटी शताब्दी के बाद से शुरू हुआ मानते है जबकि कुछ इसे ७-८वीं शताब्दी से शुरू हुआ मानते है। गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद और दिल्ली सल्तनत के शुरू होने के बीच भारतवर्ष कई छोटे राज्य में बटा हुआ था। हलांकि कई साम्राज्यों ने इसे पुनर्गठित करने की कोशिश की लेकिन ज्यादा समय के लिये नहीं कर सके। इस दौर में सबसे महत्वपूर्ण गुर्जर-प्रतिहार, पाल और राष्ट्रकूट साम्राज्य के बीच त्रिपक्षीय संघर्ष और भारत पर मुस्लिम आक्रमण का शुरूआत रहा। उस दौर के कुछ राजवंश जिन्होनें शासन किया।

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